लोगों की राय

कहानी संग्रह >> गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह)

गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :255
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8446
आईएसबीएन :978-1-61301-064

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

264 पाठक हैं

गल्प-लेखन-कला की विशद रूप से व्याख्या करना हमारा तात्पर्य नहीं। संक्षिप्त रूप से गल्प एक कविता है


डाक्टर राजा बाबू ने अनेक मरीज़ से फ़ारिग होकर आज का दैनिक उठाया था ही था कि उनके सामने एक ग्यारह-बारह वर्ष की निरीह बालिका, आँखों में आँसू भरे हुए; आ खड़ी हुई। डाक्टर साहब समझ गये कि इस बालिका पर कोई भारी विपत्ति आई है। उन्होंने दैनिक को मेज पर रखकर बड़े स्नेह के साथ उससे पूछा–‘बेटी, क्यों रोती हो?’

‘डाक्टर साहब कहाँ हैं, मैं उनके पास आई हूँ। मेरी माँ का बुरा हाल है।’

‘मैं ही डाक्टर हूँ। तुम्हारी माँ को क्या शिकायत है?’

‘डाक्टर साहब, मेरी माँ को बड़े जोर का बुखार चढ़ा है। तीन दिन से वह बेहोश थी। आज कुछ होश हुआ है, तो आपको बुलाने के लिए भेजा है। हमारा घर बहुत दूर नहीं है। आप चलकर देख लीजिये।’

‘मैं अभी चलता हूँ। तुम घबराओ मत। ईश्वर तुम्हारी माँ को निरोग कर देगा।’

डाक्टर साहब अपना हैंड-बेग उठाकर लड़की के साथ पैदल ही चल दिया। लड़की के मना करने पर भी उन्होंने नहीं माना और कहा– तुम्हारा मकान बहुत करीब है। मैं भी प्रात:काल से गाड़ी में बैठे-बैठे थक गया हूँ; इसलिए थोड़ी दूर पैदल चलने की तबियत चाहती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai